Saturday, July 11, 2009

भारतीय विवाह के स्थायित्व के कारण , व उम्र का सम्बन्ध

प्रिय मित्रों व स्नेही पाठकों ,

सबसे पहले अपने विवाह के अट्ठारह सफल वर्ष पूर्ण होने पर बधाई व शुभ कामनाएं चाहूँगा तथा इसके उपरांत अपने विवाह के सफल होने के कारणों को अपने अनुभवों से विश्लेषित करने का प्रयास करूंगा । जिस प्रकार से कच्ची मिटटी से सुंदर बर्तन व उपयोगी वस्तुओ का निर्माण होता है । उसी प्रकार कम उम्र (२१ -२५ वर्ष) में विवाह भारतीय परम्परा के अनुसार हो जाने पर दो अनजान परिवारों व संस्कारों से सम्बंधित नवदम्पति एक दूसरे के संस्कारो व परम्पराओं को सीखते हुए , जीवन के निर्वहन में विपरीत बिन्दुओ पर भी सहमती व सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं । यही परम्पराओं व संस्कारो की विसंगतियां अधिक उम्र के विवाहों में नवयुगल के विचारो के दृढ़ होने के कारण एक दुसरे के सामने कौन झुके , विवाह के बिखराव का कारण बन जाते हैं व वे अंत तक समझौता नही कर पाते हैं । जबकि कम उम्र में युवक या युवती का स्वाभिमान तुलनात्मक दृष्टि से अधिक उम्र के दम्पति के स्वाभिमान जो घमंड की सीमा तक होता हैं एक दुसरे के सामने न झुकने पर बाध्य करता हैं। मेरा यह व्यक्तिगत व दृढ़ मत हैं की,"यदि लड़का या लड़की अपनी शिक्षा पूर्ण कर सफलता पूर्वक सामान्य से अच्छी आय प्राप्त कर रहे हो तो उनके विवाह के लिए २१से २५ वर्ष सर्वाधिक उपयुक्त समय हैं।

Monday, July 6, 2009

आज की व्यवस्था और मैं .....

आज मेरे ऑफिस में मासिक कार्य समीक्षा बैठक थी , जिसमें हमारे विभाग के प्रदेश के मुखिया हम बेजुबानों से पूछते हैं कि आपको कार्य करनें में कोई तकलीफ तो नहीं ! , हम क्या कह सकते हैं ? यदि जुबां होती तो कहते कि,आप जैसे ही बड़े अधिकारीयों से फ़ोन पर बात करने कि धमकियाँ न मिलती तो कोई तकलीफ नहीं हैं। दो घंटो का समय मानो पहाड़ होता जा रहा था जिसके मध्य में मिली चाय कि चुस्कियां भी कड़वी लग रही थी। परंतु मीटिंग हॉल से निकलते समयहम सभी बेजुबान इस तरह वाचाल हो गए , गर्दन भौवो कि तरह तनी हुई थी जैसे पानीपत का युद्घ हमही जीत के आ रहे हैं। इस व्यवस्था कि कड़ी होते हुए भी मेरे मन में हमेशा एक बात रहती हैं कि, शायद किसी ने ठीक ही कहा हैं -
" आपको सज़दा करून मुमकिन नही ये जीते जी ,
आदमी होता हैं सबकुछ ,पर ...खुदा होता नहीं। "

Friday, July 3, 2009

गड्ढा 1




ये गड्ढे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की मुख्य सड़क जो निशातगंज से हजरतगंज गोमती नदी के ऊपर पुल के पास हैं , जहाँ से प्रतिदिन सैकडो नौकरशाह , आईएस और मंत्री तथा कई बार मुख्या मंत्री भी गुजरती हैं । परन्तु वाह रे व्यवस्था ! एक भी जिम्मेदार की नज़र में इतना भीमकाय गड्ढा नहीं पड़ा । इस गड्ढे के दिन कब लौटेंगे जब यह मोक्ष पायेगा ।


गड्ढा

Wednesday, June 17, 2009

मित्रों

हेल्लो,
मित्रों मैं संजय आनंद आपसे अपनी मन की वाणी कहना चाहता हूँ ,यदि त्रुटि हो तो ये मानिए कि कोई भी मनुष्य संपूर्ण नहीं है.आज इन्हीं शब्दों के साथ ,
आपका
संजय आनंद