प्रिय मित्रों व स्नेही पाठकों ,
सबसे पहले अपने विवाह के अट्ठारह सफल वर्ष पूर्ण होने पर बधाई व शुभ कामनाएं चाहूँगा तथा इसके उपरांत अपने विवाह के सफल होने के कारणों को अपने अनुभवों से विश्लेषित करने का प्रयास करूंगा । जिस प्रकार से कच्ची मिटटी से सुंदर बर्तन व उपयोगी वस्तुओ का निर्माण होता है । उसी प्रकार कम उम्र (२१ -२५ वर्ष) में विवाह भारतीय परम्परा के अनुसार हो जाने पर दो अनजान परिवारों व संस्कारों से सम्बंधित नवदम्पति एक दूसरे के संस्कारो व परम्पराओं को सीखते हुए , जीवन के निर्वहन में विपरीत बिन्दुओ पर भी सहमती व सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं । यही परम्पराओं व संस्कारो की विसंगतियां अधिक उम्र के विवाहों में नवयुगल के विचारो के दृढ़ होने के कारण एक दुसरे के सामने कौन झुके , विवाह के बिखराव का कारण बन जाते हैं व वे अंत तक समझौता नही कर पाते हैं । जबकि कम उम्र में युवक या युवती का स्वाभिमान तुलनात्मक दृष्टि से अधिक उम्र के दम्पति के स्वाभिमान जो घमंड की सीमा तक होता हैं एक दुसरे के सामने न झुकने पर बाध्य करता हैं। मेरा यह व्यक्तिगत व दृढ़ मत हैं की,"यदि लड़का या लड़की अपनी शिक्षा पूर्ण कर सफलता पूर्वक सामान्य से अच्छी आय प्राप्त कर रहे हो तो उनके विवाह के लिए २१से २५ वर्ष सर्वाधिक उपयुक्त समय हैं।
मतदाता जागरूकता गीत
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2 months ago
अनुभव की कसौटी से गुजरीं बातें ...अमूल्य ही तो होंगी....
ReplyDeleteधन्यवाद..
बधाई व शुभकामनाएं ..!!
ReplyDeleteसहमत !
ReplyDeleteअबे! तुम्हारा ब्लॉग मैं थोड़े लिखूँगा। कुछ नया लिखो।
ReplyDeleteसर्वप्रथम आपकी शादी की सालगिरह ही बहुत बहुत शुभकामना...
ReplyDeleteऔर अब आपकी बात....
आपकी बात सौ प्रतिशत सही है..
हमारा विवाह भी कम उम्र में हुआ ..शायद यही वजह है कि कभी भी अहम् आड़े नहीं आया...लड़ते हैं हम भी लेकिन अहम् का कोई काम नहीं होता ..
इसलिए मान भी जल्दी जाते हैं...और मना भी जल्दी लेते हैं...
यह बात बिलकुल सही है कि विवाह कम उम्र वाले ज्यादा सफल होते हैं...क्यूंकि पौधे को आप जैसी मर्ज़ी वैसी शक्ल दे सकते हैं लेकिन पेड़ को नहीं..
बहुत सुन्दर आलेख...आपका हृदय से आभार...